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Saturday 5 May 2012

कहानी अतृप्त आत्माओं की-1


(अशरीरी आत्माओं का अस्तित्व होता है. इसे विज्ञानं  भी  मानता है. आमतौर पर लोग भूत-प्रेत का नाम सुनते हीं डर जाते हैं. जबकि सच्चाई यह है कि किसी न किसी अतृप्त इच्छा के  कारण वह भटकती रहती हैं. किसी को नुकसान पहुँचाना उनका मकसद नहीं होता. वह तो सिर्फ अपनी अतृप्त इच्छा की पूर्ति के लिए हमारा सहयोग चाहती हैं. वह अपनी बात हमें बताना चाहती हैं. लेकिन हम इतने डरे होते हैं कि उनकी बात, उनका संकेत नहीं समझ पाते. मैं कुछ  ऐसी ही कहानियां सुनाने जा रहा हूँ.)


(1)

भूत बंगले की प्रेतनी

आज से करीब 40  वर्ष पहले की बात है. मेरे एक करीबी रिश्तेदार ब्रिटेन में डॉक्टर थे. गिने-चुने ह्रदय रोग विशेषज्ञों में उनका नाम आता था. उन्होंने शादी नहीं की थी. ब्रिटेन में अपना घर बनवा चुके थे. आराम से रहते थे. एक बार की बात है. उन्हें एक बंगले के बारे में पता चला जिसे भूत बंगला के नाम से जाना जाता था. उसमें कोई रहता नहीं था. उसका मालिक उसे कौड़ी के मोल बेचना चाहता था लेकिन कोई खरीददार नहीं मिल रहा था. डॉक्टर साहब भूत-प्रेत को नहीं मानते थे. पता नहीं उनके मन में क्या आया की अपना मकान बेचकर उन्होंने भूत बंगला खरीद लिया. उसकी रंगाई-पुताई करवाई और गृह-प्रवेश कराकर उसमें रहने चले आये. गृह-प्रवेश के समय भारत से उनके कई रिश्तेदार पहुंचे थे.  जब तक वे रहे, बंगले में चहल-पहल रही. कहीं कोई प्रेत नज़र नहीं आया.उनके वापस लौटने के बाद भी कोई ऐसी घटना नहीं हुई. लेकिन एक रात जब डॉक्टर साहब ड्राईंग रूम में बैठे सिगरेट फूंक रहे थे तो एक अंग्रेज महिला आई और सीने में दर्द की शिकायत करते हुए दवा मांगने लगी. डॉक्टर साहब को आश्चर्य हुआ. गेट पर ताला लगा है. दरवाज़ा बंद है. फिर यह अंदर कैसे चली आई. वे कुछ समझने की कोशिश करते कि वह गायब हो गयी. डॉक्टर साहब सोच में पड़ गए लेकिन ज्यादा ध्यान नहीं दिया. चार-पांच दिन गुजरने के बाद रात के वक़्त जब वह सो रहे थे. वह महिला फिर आई. उन्हें जगाया और दवा मांगने लगी. इसके बाद कभी बरामदे में कभी गार्डेन में नज़र आती रही. इसके बाद वह लगभग हर रात आती दवा मांगती और इसके बाद गायब हो जाती. कई रात इस घटना के घटित होने के बाद एक दिन डॉक्टर साहब ने सोचा कि  इसे दवा देकर देखें क्या करती है. उन्होंने अपने तकिये के नीचे हार्ट की दवा रखी और पास ही एक ग्लास में पानी. रात के वक़्त जैसे ही वह महिला आई डॉक्टर साहब ने दवा उसकी और बढ़ा दी और पानी का ग्लास उसे थमा दिया. महिला ने दवा खायी पानी पी और 'थैंक यू वैरी मच!' कहकर चली गयी.
डॉक्टर साहब इसके बाद करीब 20  वर्षों तक यानी जीवन पर्यंत उसी बंगले में रहे लेकिन वह महिला इसके बाद फिर वह कभी दिखाई नहीं पड़ी. डॉक्टर साहब के देहावसान के बाद उनके परिजनों ने उस बंगले को अच्छी कीमत पर बेची. दरअसल वह महिला दिल की मरीज थी और हार्ट अटैक के कारण उसकी मौत हुई थी जिस वक़्त उसकी मौत हुई उस वक़्त उसे दवा नहीं मिल सकी थी. इसलिए उसकी आत्मा दवा के लिए भटक रही थी. बंगले में जो भी आया उससे उसने दवा मांगी लेकिन लोग डरकर भागते गए और वह बंगला भूत बंगला के नाम से विख्यात हो गया. डॉक्टर साहब डरे नहीं और उसे दवा दे दी. इससे उसकी दवा खाने की इच्छा पूरी हो गयी और वह तृप्त होकर चली गयी.

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