छोटे
कहानी 20 वीं
शताब्दी के छठे दशक की है। ब्रिटेन में एक वायसराय की एक विशाल और भव्य कोठी थी।
वह कोठी भुतहा कोठी के रूप में विख्यात हो चुकी थी। वायसराय के परिवार में सिर्फ
एक बेटी बची थी जो शादीशुदा थी और पति तथा बच्चों के साथ दूसरे शहर में रहती थी।
उसने कोठी को किराए पर देने की कोशिश की लेकिन जो भी किराएदार आता वह 8-10 दिन से
ज्यादा नहीं टिकता। उनका कहना था कि कोठी के सारे दरवाजे सारी खिड़कियां बंद कर दी
जाती हैं। सोने के कमरे को पूरी तरह पैक कर दिया जाता है। इसके बावजूद रात को अचानक
एक प्रेत प्रकट होता है और हाथ फैलाकर खड़ा हो जाता है। प्रेत ने कभी किसी को नुकसान
नहीं पहुंचाया था लेकिन हर रात उसके प्रकट हो जाने से लोग भयभीत हो जाते थे और भाग
खड़े होते थे।
कोठी की मालकिन
परेशान थी। उसने कोठी को बेचने की भी कोशिश की लेकिन कोई खरीदार सामने नहीं आया।
स्थिति ऐसी हो गई कि वह किसी तरह कोठी से छुटकारा पाने का प्रयास करने लगी। उसे
कौड़ी के भाव भी बेच देने को तैयार हो गई।
उन दिनों हमारे एक रिश्तेदार
ब्रिटेन के मशहूर कार्डियोलाजिस्ट थे। उन्होंने शादी नहीं की थी। पूरे शान के साथ
एकाकी जीवन बिता रहे थे। उन्हें कोठी के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने कोठी के
मालकिन से बात की। मालकिन ने पूछा कि क्या उन्होंने कोठी के बारे में पूरी जानकारी
ले ली है। डाक्टर साहब ने हामी भरी। उन्होंने कहा कि इतनी शानदार कोठी में समस्या
क्या है मैं देखना चाहता हूं। अकेला आदमी हूं जोखिम उठाने को तैयार हूं। वायसराय
की बेटी की तो जैसे लाटरी ही निकल आई। वह बहुत ही कम कीमत पर से बेचने को तैयार हो
गई और जल्द से जल्द कोठी की रजिस्ट्री कर देना चाहती थी। से डर था कि कहीं डाक्टर
साहब को कोई भड़का न दे और वे डील से पीछे न हट जाएं।
उसकी शंका गलत भी
नहीं थी। डाक्टर साहब के तमाम करीबी लोगों ने कोठी खरीदने की उनकी मंशा जानने के
बाद उन्हें समझाने की कोशिश की कि जिस कोठी में कोई 15 दिन भी नहीं टिक पाता उसमें
पैसे फंसाने से क्या लाभ। लेकिन डाक्टर साहब अपने निर्णय से टस से मस नहीं हुए।
उन्होंने कहा कि उनके पास यह जुआ खेलने के लिए पर्याप्त पैसा है। कोठी शानदार है
और कौड़ी के मोल मिल रही है।
बहरहाल डाक्टर साहब
ने कोठी खरीद ली। बड़े शौक के साथ उसकी साफ सफाई कराई। उसकी साज-सज्जा में काफी
खर्च किया। कोठी के गार्डेन में तरह-तरह के पौधे लगवाए। बाजाप्ता धार्मिक
रीति-रिवाज के आधार पर गृह-प्रवेश कराया और उसमें रहने चले आए।
पहली रात वे अपने
पलंग पर सो रहे थे तो रात के करीब एक बजे एक व्यक्ति उनके सामने आया। उसने हाथ
फैलाया। डाक्टर साहब ने सके हाथ में पानी का ग्लास रख दिया। उसने पानी पीया और चला
गया। डाक्टर साहब देर तक जगे रहे लकिन वह वापस नहीं लौटा। इस तरह कई दिनों तक वह
आता और कभी पानी कभी व्हिस्की पीकर चला जाता। डाक्टर साहब को लगा कि वह कोई नुकसान
पहुंचाने वाली प्रेतात्मा नहीं है। उसे किसी चीज की तलब है जो उसे मिल नहीं पा रही
है और कोई उसके मन की बात समझ नहीं पा रहा है। उन्होंने आसपास के लोगों से बात कर
पता करने की कोशिश की कि वह किस व्यक्ति की आत्मा है और उसकी मौत कैसे हुई थी।
पड़ताल करने के बाद उन्हें पता चला कि वह वायसराय के परिवार से संबंधित था और
हार्ट का मरीज था। मौत के समय वह कोठी में अकेला था। डाक्टर साहब मामला समझ गए।
उस रात डाक्टर साहब
ने अपने सिरहाने दिल के दौरे की दवा, एक जग पानी और ग्लास रख लिया और आराम से सो
गए। रात के वक्त प्रेत के आने पर उनकी नींद टूटी। उन्होंने उसके हाथ पर दवा रख दी
और ग्लास में पानी डालकर उसकी ओर बढ़ा दिया। प्रेत ने दवा मुंह में डाली, पानी पीया
और चला गया। इसके बाद वह कभी नज़र नहीं आया। कोठी के भुतहा होने की बात धीरे-धीरे
खत्म हो गई। बाद में एक बार भेंट होने पर उन्होंने कोठी की चर्चा होने पर बताया था
कि उस व्यक्ति को जब दिल का दौरा पड़ा था तो से इतना समय नहीं मिल पाया कि आलमारी
से दवा निकाल कर खा सके। दवा मिल जाती तो वह बच जाता। दवा खाने की इच्छा के कारण
ही उसकी आत्मा भटक रही थी। कोई उसकी बात समझ नहीं पाता था और डरकर भाग जाता था।
दवा खाकर पानी पी लेने से उसकी आत्मा तृप्त हो गई और उसे मुक्ति मिल गई। बस इतनी
सी बात थी। कोठी मुझे मिलनी थी मिल गई। उसकी वास्तविक कीमत पर तो मैं से खरीद ही
नहीं पाता।
इसके बाद डाक्टर
साहब आराम से 12 वर्षों तक उस कोठी में रहे। कभी कोई परेशानी नहीं हुई। चूंकि
उन्होंने सादी नहीं की थी और उनका कोई वारिस नहीं था इसलिए मरने के पहले उन्होंने
बैंक में जमा नकदी और अपनी अन्य संपत्तियों के साथ उस कोठी को भी बेचकर अपने
भतीजों और अन्य करीबी रिश्तेदारों के बीच बांट देने की वसीयत की थी। कोठी पूरे
बाजार मूल्य पर बिकी।
दिलचस्प कहानी।
ReplyDeleteThanks For Sharing The Amazing content. I Will also share with my friends. Great Content thanks a lot.
ReplyDeletebhoot ki kahaniya in Hindi story
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