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Friday 23 November 2012

डाकबंगले की भूतनी

1952 -53  के ज़माने की घटना है.  पांच  शिकारी मध्य प्रदेश के जंगलों में शिकार खेलने गए थे. उन्हें ठहरने के लिए जगह नहीं मिल रही थी. डाकबंगला  खाली नहीं था. केयर टेकर ने बताया कि जंगल के अन्दर एक पुराना  डाकबंगला  है जो खंडहर जैसा हो चुका है. पानी की व्यवस्था भी है. अगर चाहें तो उसे  साफ़ सुथरा कर ठहर सकते हैं. उनके पास कोई विकल्प नहीं था. अँधेरा  हो रहा था. इसलिए वे पुराने डाकबंगला  में पहुंचे.एक कमरे को साफ़ सुथरा किया और जमीन पर ही बिस्तर बिछा लिया. अपनी बंदूकें और राइफलें दीवाल में टिका दिन और ताश खेलने बैठ गए देर रात को साथ लाये भोजन को ग्रहण कर सो गए. उनमें से एक जे एन सिंह   को नींद नहीं आ रही थी. उसने सिगरेट जलाई और उसके कश लेने लगा. तभी उसने देखा कि अचानक खिड़की से एक हाथ बढ़ता हुआ उसकी गर्दन की ओर आ रहा है. वह चौंक उठा. और जोरों से चिल्लाया. अन्य लोग उठ गए हाथ गायब हो गया.उसने सबको घटना की जानकारी दी तो उन्होंने कहा कि यह तुम्हारा भ्रम होगा. या सपना देखा होगा. खिड़की से इतनी दूर हाथ कैसे पहुंचेगा. नई जगह में कभी-कभी ऐसा लगता है. सो जाओ. कहीं कुछ नहीं है.
उसने लाख विश्वास दिलाने की कोशिश की कि यह सच है लेकिन किसी ने विश्वास नहीं किया. सारे लोग फिर सो गए. उसने भी सोने की कोशिश की लेकिन नींद नहीं आई.
सुबह उठकर सभी लोग नाश्ता-पानी कर शिकार की तलाश में निकल गए. उस दिन सिर्फ कुछ वनमुर्गियाँ मिलीं जिन्हें शाम को पकाकर उनलोगों ने खाया. थोडा टहल घूम कर वे ताश खेलने लगे. तभी पायल की आवाज़  आई . जैसे कोई दौड़ता हुआ जा रहा हो. इतनी रात में कौन औरत जंगल में दौड़ रही है. उनके मन में सवाल उठा. खिड़की पर जाकर देखा तो कुछ दिखाई  नहीं पड़ा. वे खाना खाकर चुपचाप सो गए. जे एन सिंह को उस रात भी नींद नहीं आ रही थी वे उस हाथ के बारे में ही सोच रहे थे. तभी झपकी  लगी . आख खुली तो देखा कि खिड़की से एक हाथ उनकी  गर्दन तक  पहुँच  चुका है खिड़की पर एक लडकी खड़ी    हंस रही है. वे चिल्लाये . सभी लोग उठ गए. उन्होंने पूरी बात  बताई  और कहा कि चिल्लाता  नहीं तो मेरी  गर्दन दबा  deti. सभी लोग खिड़की के पास गए तो जंगल की ओर एक लडकी  जाती  हुई  दिखाई  पड़ी . उसके पायल  की आवाज़  आ रही थी. सभी लोगों  को विश्वास हो गया कि कुछ न  कुछ चक्कर  है. उसी  की बात  करते  हुए वे सो गए. अगले  दिन वे लोग नाश्ता-पानी कर शिकार  पर निकले . रस्ते में कुछ आदिवासी मिले . उन्होंने पूछा कि आपलोग किधर जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि शेर का  शिकार करने  आये  थे. वह मिल नहीं रहा है तो अब  हिरन  मारकर चले  जायेंगे. आदिवासियों ने पूछा कि ठहरे कहाँ हैं. उन्होंने बताया कि पुराने डाकबंगले में.
आदिवासियों  ने चौंककर पूछा कि कब से ठहरे हैं. उन्होंने बताया कि दो  दिनों  से. आदिवासियों  ने हैरानी   से पूछा  कि दो  दिनों  ने ठहरे  हैं और जीवित  हैं.
क्या  मतलब
साहब  वह भूता  डाकबंगला है. वहां एक लडकी  की भटकती  आत्मा  है जो हर  ठहरने वाले  को मार  डालती  है.
किसकी  आत्मा  है वह.
वह एक केयर टेकर की बेटी  थी. एक बार  केयरटेकर  बीमार  था और कुछ शिकारी ठहरे  हुए थे. चौकीदार  के बीमार  होने  के कारण  उसकी बेटी  ही उन्हें खाना  पानी देने  जाती  थी. उन्होंने उसके साथ जबर्दाष्टि  की और maar डाला . तभी से डाकबंगला  वीरान  हो गया. कोई भूला   भटका   ठहरा  तो लडकी  की आत्मा  ने मार  डाला . बंगला  भुतहा  हो गया. आपलोग  भी वहां से हट  जाइये . रुकने  का  विचार  हो तो गाँव  में चले  आइयें .
उनलोगों ने रात किसी तरह काटी  और सुबह होते  ही वापस  लौटने  की तयारी  करने  लगे. रात को वह लडकी  खिड़की के पास आई  और बोली  कि देवी -देवताओं  की कृपा  ने तुम्हें  बचा लिया. फिर कभी इधर मत आना.

---छोटे


8 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (25-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (क्या ब्लॉगिंग को सीरियसली लेना चाहिए) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  2. सुंदर पर अविश्वसनीय...

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  3. Bahut badiya purane samye Ki jhalak milti hai aapki story mein

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