Followers

Wednesday 4 July 2018

प्रेतात्मा ने खोला अपनी मौत का रहस्य



-नागेंद्र प्रसाद

झारखंड के घाटशिला की घटना है। सुरेश चंद्र की पहली पत्नी का देहांत हो गया था। उससे उनकी दो बेटियां थी। बड़ी बेटी चंदा छह साल की और छोटी बेटी बिंदा 4 साल की ( सभी नाम काल्पनिक लेकिन घटना सच्ची)। सुरेश बाबू ने बच्चों की देखभाल के लिए दूसरी शादी कर ली।
एक दिन की बात है। शाम का समय था। बच्चे घर से कुछ ही दूरी पर अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे। अचानक गेंद के पीछे भागती हुई चंदा गायब हो गई। बिंदा रोती हुई घर पहुंची। सुरेश बाबू तुरंत से खोजने के लिए निकले। सभी संभावित जगहों पर गए लेकिन चंदा का कुछ पता नहीं चला। घर के सारे लोग परेशान हो उठे।
अगले दिन नदी के किनारे एक बच्ची का शव मिला। सुरेश बाबू बिंदा को लेकर वहां पहुंचे तो देखा लाश चंदा की थी। उन्होंने पुलिस को खबर की। पुलिस ने संदेह व्यक्त किया कि किसी ने दरिंदगी करके उसे मार डाला है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। इस बीच बिंदा को वहां एक पका हुआ आम पड़ा हुआ मिला। उसने धीरे से उसे उठा लिया और खा लिया।
शाम होते-होते बिंदा को तेज़ बुखार आया और वह बेहोश हो गई। सुरेश बाबू परेशान हो उठे। वे चंदा के शव को दफनाने के बाद पड़ोसियों के साथ वापस ही लौटे थे कि छोटी बेटी का भी हाल खराब मिला। वे डाक्टर के पास गए। डाक्टर के पास जाते-जाते वह होश में आ गई और उसका बुखार भी खत्म हो गया। डाक्टर ने कहा कि उसे कोई बीमारी नहीं है। थकावट या सदमे से बेहोश हुई होगी। लेकिन घर आने के बाद फिर उसकी हालत पहले जैसी हो गई।
पड़ोसियों ने सलाह दी कि इसे किसी ओझा-गुनी से दिखा लिया जाए। संभव है हवा लगी हो। कुछ लोगों को साथ लेकर वे एक तांत्रिक के पास गए। तांत्रिक सबको लेकर पास के काली मंदिर में गया। वहां सभी लोग तो मंदिर के अंदर चले गए लेकिन बिंदा अंदर जाने को तैयार नहीं हुई और बुरी तरह रोने लगी। तांत्रिक ने पूछा-क्या बात है...तुम अंदर क्यों नहीं जा रही है। रो क्यों रही है।
इसपर बिंदा ने चंदा की आवाज़ में कहा-मैं चंदा हूं। इसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाउंगी लेकिन इसके साथ रहूंगी।
-क्यों इसके साथ रहना चाहती हो तुम...। तांत्रिक ने पूछा।
बिंदा के अंदर से चंदा की आवाज़ आने लगी—
-मुझे मेरी नई मां ने नए मामा के मिलकर मारा है। जो आम बिंदा खाई थी उसी को दिखाकर नया मामा नदी तरफ ले गया था। बिंदा के खाने के बाद से ही मैं उसके शरीर में हूं। मुझे बदला लेना है। मैं अकेले उन्हें नहीं मार सकती। इसीलिए अपनी बहन की मदद लेना चाहती हूं। इसका कुछ नहीं बिगाड़ूंगी।
-पुलिस उनको सज़ा दिलवाएगी। तुम इसको छोड़ दो।
-नहीं...मैं बदला लेने से पहले नहीं छोड़ूंगी।
तांत्रिक ने मंत्र पढ़कर पानी का छींटा मारा। बिंदा सामान्य हो गई। मंदिर में गई। पूजा भी की। वापस लौटने के बाद सुरेश बाबू ने अपनी दूसरी पत्नी को खूब फटकार लगाई और घर से निकाल दिया। लेकिन बिंदा के अंदर फिर चंदा की आत्मा सवार हो गई। वह चंदा की आवाज़ में बड़बड़ाने लगी।
इधर पुलिस ने इस एंगल से मामले की छानबीन करनी शुरू कर दी। बिंदा सामान्य रहती फिर अचानक देर रात को घर से निकलकर कुयें के पास बैठकर रोने लगती। सुरेश बाबू ने एक पहुंचे हुए मौलाना से संपर्क किया। पूरी बात बताई। मौलाना ने बिंदा को अपने इल्म का इस्तेमाल कर चंगा कर दिया। इस बीच पुलिस मामले की तह तक पहुंच गई। सुरेश बाबू की दूसरी पत्नी और उसके भाई को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया। न्यायालय से उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा मिली।
इसके बाद बिंदा सामान्य जीवन जीने लगी। अपनी पढ़ाई लिखाई टीक से करने लगी। अब वह बड़ी हो गई है लेकिन अभी भी कभी-कभार चंदा की आत्मा उसपर सवार हो जाती है। उस वक्त वह अजीबो-गरीब हरकतें करने लगती है। लेकिन यह कुछ ही समय के लिए होता है।


1 comment:


  1. Thanks For Sharing The Amazing content. I Will also share with my friends. Great Content thanks a lot.
    bhoot ki kahaniya in Hindi story

    ReplyDelete